सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता को अपराध मानने वाली आईपीसी की धारा 377 के मामले में कहा है कि अगर इसे पूरी तरह खत्म किया गया तो अराजकता की स्थिति पैदा हो सकती है। गौरतलब है कि कोर्ट ने मामले में जनमत संग्रह से इनकार करते हुए कहा कि संवैधानिक मामलों पर कोई निर्णय जनमत के आधार पर नहीं लिया जाएगा।