UPI चार्जबैक तब होता है जब लेनदेन फेल हो जाए या सेवा/उत्पाद न मिले और ग्राहक पैसा वापस चाहता है। पहले बैंक को नैशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) से अनुमति लेनी पड़ती थी, जिसे व्हाइटलिस्टिंग कहते हैं। 15 जुलाई 2025 से बैंक सही दावा मिलने पर बिना NPCI की मंजूरी के चार्जबैक प्रोसेस कर सकेंगे।