गुजरात हाईकोर्ट ने गोधरा कांड के बाद हुए दंगों से जुड़े मामले में 3 दोषियों को यह कहते हुए बरी कर दिया है कि उनकी दोषसिद्धि विश्वसनीय साक्ष्यों पर आधारित नहीं थी। कोर्ट का यह फैसला तीनों को दोषी ठहराए जाने और उन्हें 5-5 साल की कठोर कारावास की सज़ा सुनाए जाने के करीब 19 साल बाद आया है।