रिपोर्ट्स के अनुसार, अपने $125 बिलियन के ई-कॉमर्स मार्केट को एमेज़ॉन और वॉलमार्ट जैसी कंपनियों के लिए पूरी तरह खोलने के लिए भारत पर अमेरिकी दबाव है। भारतीय नियमों के मुताबिक, अमेरिकी ई-कॉमर्स कंपनियां भारत में केवल मार्केटप्लेस की तरह काम कर सकती हैं जबकि भारतीय कंपनियां उत्पादन, स्वामित्व और बिक्री कर सकती हैं जिसे अमेरिका गैर-टैरिफ बाधा मानता है।