इंटरनैशनल बुकर प्राइज़ विजेता बानू मुश्ताक ने कहा है, "मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं नहीं लिखूंगी। हर दिन मैं सोचती हूं कि मुझे लिखना है।" उन्होंने कहा, "मैं लिखे बिना नहीं रह सकती, लिखना मेरे लिए सांस लेने जैसा है। मैंने बहुत मेहनत की है, मुझे लिखना था और मुझे कड़ी मेहनत करनी थी, मैंने वो सब किया।"