चार्टर्ड अकाउंटेंट सुरेश सुराणा के मुताबिक, विरासत में मिली गोल्ड ज्वेलरी को बेचने से पहले इनकम टैक्स ऐक्ट,1961 के तहत टैक्स के नियमों को जान लेना चाहिए। उन्होंने कहा, "ऐसी ज्वेलरी कैपिटल गेंस टैक्स के दायरे में आती है। अगर गोल्ड ज्वेलरी 24 माह बाद बेची जाती है तो इस पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स के नियम लागू होंगे।"