दिल्ली की एक अदालत के एक जज ने एक व्यक्ति को उसकी मां की संपत्ति पर अवैध कब्ज़े के मामले में ज़मानत देते हुए एक कविता लिखी है। कविता में लिखा है, "मिल्कियत की जंग में ना जाने कितने अफसाने हुए...कुछ ही अपने थे...वो भी अब बेगाने हुए।" बकौल रिपोर्ट्स, महिला ने अपने बेटे के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।