भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड कर्जन के आदेश पर 16-अक्टूबर 1905 को बंगाल का विभाजन हुआ था और इस दिन को 'विरोध दिवस' के रूप में मनाया गया था। इस आदेश के खिलाफ देश में स्कूल-कॉलेज से लेकर नुक्कड़-चौराहों तक विरोध प्रदर्शन किए गए थे और विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार और स्वदेशी वस्तुओं के प्रचार का नारा लगाया गया था।