1853 में भारत में शुरू हुई यात्री ट्रेन में करीब 56-वर्ष तक शौचालय नहीं थे। 1909 में शौच करने गए अखिल चंद्र नामक यात्री का इंतज़ार किए बिना ट्रेन चल दी जिसे पकड़ने के लिए दौड़ते-दौड़ते उनकी धोती खुली और सार्वजनिक अपमान हुआ। इससे नाराज़ होकर उन्होंने धमकी भरा पत्र लिखा जिसके बाद ट्रेनों में शौचालय की सुविधा शुरू हुई।