औरंगज़ेब के कट्टरपंथ से तंग आकर जाट समुदाय उत्तेजित हो गया था और जाट किसानों ने विद्रोह शुरू कर दिया था। इतिहासकारों के मुताबिक, भरतपुर (राजस्थान) के राजाराम जाट नामक राजा ने औरंगज़ेब को सबक सिखाने के लिए 1688 में अकबर की कब्र खोदकर उसकी अस्थियां निकालकर उसमें आग लगा दी थी। 1688 में ही राजाराम की मौत हुई थी।