कोलंबिया यूनिवर्सिटी की एक स्टडी के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन के कारण 2050 तक चावल में आर्सेनिक का स्तर बढ़ सकता है जिससे एशियाई देशों में लाखों लोगों को कैंसर का खतरा हो सकता है। अध्ययन में कहा गया है कि बढ़ते तापमान और कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर के कारण चावल के पौधे मिट्टी से अधिक आर्सेनिक अवशोषित कर रहे हैं।