केरल हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति (59) को लड़की (14) के साथ कई बार रेप करने का दोषी पाते हुए हाल ही में कहा कि समर्पण का मतलब कभी भी संभोग के लिए सहमति नहीं माना जा सकता है। बतौर हाईकोर्ट, बराबरी के संबंध में सहमति की ज़रूरत नहीं होती लेकिन असमान होने पर सहमति इसे बराबरी का नहीं बना सकती।