1971 के युद्ध में पाकिस्तानी जनरल एएके नियाज़ी ने 93,000 सैनिकों के साथ भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किया था। युद्धबंदी के तौर पर भारत लाए गए नियाज़ी को फोर्ट विलियम (कोलकाता) में रखा गया और बाद में जबलपुर ले जाया गया। शिमला समझौते के तहत 1975 में नियाज़ी को रिहा कर पाकिस्तान भेजा गया जहां उन्हें बदनामी झेलनी पड़ी।